Want Consultation?

Ganesh Chalisa | श्री गणेश चालीसा

Ganesh Chalisa | जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥ जय जय जय गणपति राजू।…. श्री गणेश चालीसा | Ganesh Chalisa in Hindi | श्री गणेश चालीसा
Table of Contents
Ganesh Chalisa

॥ दोहा ॥

मंगलमय मंगल करन,करिवर वदन विशाल।

विघ्न हरण रिपु रूज दलन,सुमिरौ गिरजा लाल॥


॥ चौपाई ॥

जय गणेश बल बुद्धि उजागर।वक्रतुण्ड विद्या के सागर॥

शम्भ्पूत सब जग से वन्दित।पुलकित बदन हमेश अनन्दित॥

 

शान्त रूप तुम सिन्दूर बदना।कुमति निवारक संकट हरना॥

क्रीट मुकुट चन्द्रमा बिराजै।कर त्रिशूल अरु पुस्तक राजै॥

 

रिद्धि सिद्धि के हे प्रिय स्वामी।माता पिता वचन अनुगामी॥

भावे मूषक की असवारी।जिनको उनकी है बलिहारी॥

 

तुम्हरो नाम सकल नर गावै।कोटि जन्म के पाप नसावै॥

सब में पूजन प्रथम तुम्हारा।अचल अमर प्रिय नाम तुम्हारा॥

 

भजन दुखी नर जो हैं करते।उनके संकट पल मे हरते॥

अहो षडानन के प्रिय भाई।थकी गिरा तव महिमा गाई॥

 

गिरिजा ने तुमको उपजायो।वदन मैल तै अंग बनायो॥

द्वार पाल की पदवी सुन्दर।दिन्ही बैठायो ड्योडी पर॥

 

पिता शम्भू तब तप कर आए।तुम्हे देख कर अति सकुचाये॥

पूछैउं कौन कहाँ ते आयो।तुम्हे कौन एहि थल बैठायो॥

 

बोले तुम पार्वती लाल हूँ।इस ड्योडी का द्वारपाल हूँ॥

उनने कहा उमा का बालक।हुआ नही कोई कुल पालक॥

 

तू तेहि को फिर बालक कैसो।भ्रम मेरे मन में है ऐसो॥

सुन कर वचन पिता के बालक।बोले तुम मैं हूँ कुलपालक॥

 

या मैं तनिक न भ्रम ही कीजे।कान वचन पर मेरे दीजे॥

माता स्नान कर रही भीतर।द्वारपाल सुत को थापित कर॥

 

सो छिन में यही अवसर अइहै।प्रकट सफल सन्देह मिटाइहै॥

सुन कर शिव ऐसे तब वचना।हृदय बीच कर नई कल्पना॥

 

जाने के हित चरण बढाये।भीतर आगे तब तुम आये॥

बोले तात न पाँव उठाओ।बालक से जी न रार बढाओं॥

 

क्रोधित शिव ने शूल उठाया।गला काट कर पाँव बढाया॥

गए तुम गिरिजा के पास।बोले कहां नारी विश्वास॥

 

सुत कसे यह तुमने जायो।सती सत्य को नाम डुबायो॥

तब तव जन्म उमा सब भाखा।कुछ न छिपाया शम्भु सन राखा॥

 

सुन गिरिजा की सकल कहानी।हँसे शम्भु माया विज्ञानी॥

दूत भद्र मुख तुरन्त पठाये।हस्ती शीश काट सो लाये॥

 

स्थापित कर शिव सो धड़ ऊपर।किनी प्राण संचार नाम धर॥

गणपति गणपति गिरिजा सुवना।प्रथम पूज्य भव भयरूज दहना॥

 

साई दिवस से तुम जग वन्दित।महाकाय से तुष्ट अनन्दित॥

पृथ्वी प्रदक्षिणा दोउ दीन्ही।तहां षडानन जुगती कीन्ही॥

 

चढि मयूर ये आगे आगे।वक्रतुण्ड सो तुम संग भागे॥

नारद तब तोहिं दिय उपदेशा।रहनो न संका को लवलेसा॥

 

माता पिता की फेरी कीन्ही।भू फेरी कर महिमा लीन्ही॥

धन्य धन्य मूषक असवारी।नाथ आप पर जग बलिहारी॥

 

डासना पी नित कृपा तुम्हारी।रहे यही प्रभू इच्छा भारी॥

जो श्रृद्धा से पढ़े ये चालीस।उनके तुम साथी गौरीसा॥


॥ दोहा ॥

शंबू तनय संकट हरन,पावन अमल अनूप।

शंकर गिरिजा सहित नित,बसहु हृदय सुख भूप॥

Transform Your Life with Rudraksha
Unlock the sacred energy of our Rudraksh malas and start your journey toward spiritual enlightenment today.
Jhivansh Jii

Founder & CEO

Join countless others who have transformed their lives through his insights. Are you ready to discover what’s next for you?

Are You Confused
Which Rudraksha To Wear
Unlock the sacred energy of our Rudraksh malas and start your journey toward spiritual enlightenment today.
Let Us Know Your Experience With Our Website In The Comment Section

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Not Sure Which Rudraksha

Is Right for You?

Discover the divine power within! Let our rudraksha experts guide your spiritual journey. 

Jhivansh Jii
Founder & CEO

Join countless others who have transformed their lives through his insights. Are you ready to discover what’s next for you?

Awaken Your Inner Power with Rudraksha

Experience the power of Rudraksha to bring peace, balance, and spiritual growth into your life. Start your journey today.

Take Expert Consultation

Before Buying!

Clear doubts and gain insights into your life with customized solutions that fit your needs. Get an expert opinion today.